आदिदेव उवाच !!!
दुनिया में शत्रु और मित्र पहले से नही होते, बनाने से बनते हैं । कोई भी व्यक्ति कुरूप और सुरूप हमारी दृष्टि के अनुरूप होता है । - आदिदेव
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